होलाष्टक

होलाष्टक के दौरान सिद्ध रक्षा शाबर मंत्र का प्रयोग व्यक्ति की सुरक्षा और बुरी शक्तियों से रक्षा के लिए किया जाता है। यहाँ एक शाबर मंत्र दिया जा रहा है जिसे होलाष्टक के समय सिद्ध किया जा सकता है: शरीर रक्षा मंत्र: ॐ नमों आदेश गुरू को आदेश जय हनुमान वीर महान करथों तोला प्रनाम, भूत-प्रेत मरी-मशान भाग जाय तोर सुन के नाम, मोर शरीर के रक्षा करिबे नही तो सिता भैया के सैया पर पग ला धरबे, मोर फूके मोर गुरू के फुके गुरू कौन गौर महादेव के फूके जा रे शरीर बँधा जा। इस मंत्र को सात बार पढ़कर हथेली में फूंक मारकर सारे शरीर में फिरा लेने से साधक का शरीर बंध जाता है और साधक सुरक्षित हो जाता है¹। मंत्र को सिद्ध करने की विधि इस प्रकार है: 1. सबसे पहले गुरू और गणेश जी की पूजा करें। 2. चारमुखी दिया जलाकर गुरू का आह्वान करें। 3. उपरोक्त मंत्र का २१ बार उच्चारण करें। 4. मंत्र को ११ बार पढ़कर अपने चारों ओर एक घेरा बना लें। इस प्रक्रिया को करने से साधक की साधना में सभी विघ्नों से रक्षा होती है और वह किसी भी साधना का प्रयोग करने के लिए तैयार हो जाता है¹। **होलाष्टक फाल्गुन मास की अष्टमी से शुरू होता है और पूर्णिमा यानी होलिका दहन तक रहता है. होलिका दहन के अगले दिन होली का त्योहार मनाया जाएगा. होली के पहले के 8 दिनों को होलाष्टक कहा जाता है. होलाष्टक को बहुत अशुभ माना जाता है. इस समयावधि में किसी भी तरह के शुभ कार्य नहीं किए जाते हैं.इस साल होलाष्टक की शुरुआत 17 मार्च से होगी और फाल्गुन पूर्णिमा यानी 24 मार्च पर यह समाप्त होगी. इस दिन होलिका दहन होगा और इसके अगले दिन यानी 25 मार्च को रंग वाली होली खेली जाएगी.**