आपके दु:ख का कारण - पूर्वजन्म के कर्म
आप सभी को नमस्कार ????
हमारे जीवन में सुख-दुःख तो आते रहते हैं लेकिन फिर भी कभी-कभी हमें ऐसा लगता है कि हम बहुत सही हैं हमने कभी किसी का गलत नहीं किया है किसी के साथ धोखा नहीं किया किसी का हमने पैसा नहीं खाया है उसके बावजूद भी हम क्यों इतने परेशान रहते हैं । हर तरह की पूजा-पाठ भी हम करते हैं धर्म-कर्म दान इत्यादि भी हम कर रहे हैं। फिर भी हमारी परेशानियां कम होने का नाम ही नहीं ले रही है हमें कहीं से भी रास्ता नहीं मिल रहा है सब दुनिया भरके मंदिरों में जा चुके हैं कई तरह की पूजा पाठ अनुष्ठान करवा चुके हैं फिर भी हमें कोई रास्ता नहीं मिल रहा है ऐसा क्यों है हमारे साथ ।
इन सब के पीछे का कारण है हमारा पूर्वजन्म । विज्ञान इसे माने या ना माने हमें उससे कोई फर्क नहीं पड़ता । क्योंकि यह संपूर्ण संसार और ब्रह्मांड ईश्वर ने बनाया हैं विज्ञान ने नहीं ।हमारे सिद्धयोगी ऋषि - मुनियों ने ज्योतिष शास्त्र के आरंभ में ही यह बात कही है कि -
"पूर्वजन्म कृतम् पापम् शुभाऽशुभं तस्य कर्मणः पङ्क्तिम् "
ज्योतिष शास्त्र की सबसे पहली लाइन यही है । इस श्लोक से यह स्पष्ट है की पूर्व जन्म में जो भी हमारे द्वारा किए गए शुभ और अशुभ या पाप -पुण्य कर्म होते हैं वह हमें किसी भी हाल में भोगने ही होते हैं । एक श्लोक और भी बताया गया है - "
न हि कर्म महत् किञ्चित् फलं यस्य न भुज्यते "
अर्थात् कोई भी कर्म ऐसा नहीं है कि जिसका फल ना भोगना पड़े । हर कर्म का हमको हिसाब चुकाना ही पड़ता है चाहे वह कितना ही छोटा कर्म हो या कितना भी बड़े से बड़ा कर्म हो ।अब शास्त्र ने तो ये स्पष्ट कर दिया की पूर्वजन्म में आपने जो काम किए हैं उन्हें आपको हर हाल में भुगतने ही पड़ेगें ।
आप लोग जब भी बहुत परेशान हो जाते हैं तब किसी ज्योतिषी के पास जाते हैं और उनसे पूछते हैं कि हम बहुत परेशान हैं आप कुछ उपाय बताइए । ज्योतिषी आपसे कहते हैं कि आपकी कुंडली में पितृदोष है और नागदोष है सर्पदोष है ऐसे और भी कई प्रकार के दोष जो आपकी कुंडली में होते हैं वे आपको बता देते हैं कि ये ये दोष है इनके कारण आप परेशानियां झेल रहे हैं । अब ये बात किसी को नहीं पता कि ये सारे दोष आए कहां से और हम पर ही क्यों है । इसका सीधा - सा जवाब है हमारे पूर्वजन्म के कर्म । कुंडली में कुछ ऐसे ऋण या श्राप होते हैं जिन्हें देखकर यह पता लगाया जा सकता है कि व्यक्ति पहले के जन्म में क्या-क्या अच्छे और बुरे काम करके आया है ।
जैसे - (मातृ ऋणदोष )
मतलब आपने किसी कि असहाय मां को पूर्वजन्म में दुख दिया होगा और उसने आपको श्राप दिया ।
(परिणाम )
इस जन्म में आपकी अपनी मां से नहीं बनेगी
- (पितृ ऋण दोष )
- आपने किसी पिता को दुख दिया होगा तो उसने आपको श्राप दिया ।
- (परिणाम )
- इस जन्म में आपके पिता से आपकी नहीं बनेगी ।
(- पूर्वज ऋण दोष )
आपके पूर्वजों ने किसी का परिवार उजाड़ा होगा तो उन्होंने आपके पूर्वजों को श्राप दिया ।
(परिणाम )
इस जन्म में आपके अपने बड़े बुजुर्गों से नहीं बनेगी
( स्व ऋणदोष )
आपने कुल की मर्यादा को तोड़ा होगा तो आपके पूर्वजों ने श्राप दिया ।
(परिणाम )
इस जन्म में आपका अपना कोई साथ नहीं देगा
(पत्नी ऋण )
आपने किसी गर्भवती महिला को जान से मारा होगा ( परिणाम )
इस जन्म में आपकी पत्नी से नहीं बनेगी और आपको संतान नहीं होगी
(संबंधी ऋण )
पूर्वजन्म में रिश्तेदारों को बहुत सताया होगा और उनका सब कुछ नाश किया होगा ।
(परिणाम )
इस जन्म में कोई भी रिश्तेदार आपकी मदद नहीं करेगा .सब आपसे दूर रहेंगे ।
( पुत्री ऋण )
अपने पूर्व जन्म में किसी की बहन - बेटी को सताया, दुख दिया होगा या मारा होगा ।
(परिणाम )
इस जन्म में आपको भी आपकी बहन बेटी से लज्जित होना पड़ेगा और उनके साथ आपकी कभी नहीं बनेगी
(जालिमाना ऋण )
आपने पूर्वजन्म में किसी के साथ धोखा या जालसाजी की होगी किसी का पैसा,धन - संपत्ति खाई होगी ।
(परिणाम )
इस जन्म में लोग आपका पैसा खा जाएंगे .और वापस लौटकर नहीं आएंगे आपकी भी धन संपत्ति चल जाएगी और आप निर्धन हो जाएंगे ।
पूर्वजन्म के और भी कई प्रकार के दोष हैं
जैसे - यदि आपने
सांप को मारा होगा तो ( नाग दोष )होगा
किसी पर काला जादू किया होगा तो (षड्यंत्र योग ) बनेगा
किसी पर प्रेत छोड़ होगा तो ( प्रेत बाधा योग ) बनेगा
तन्त्रकर्म कराके किसी को गंभीर बीमारी दी होगी तो (असाध्य रोग योग ) बनेगा
*मतलब पूर्व जन्म में आपने जो जो कर्म किया होगा वह आपके साथ इस जन्म में घटित होना तय है इसमे कोई शंका नहीं है*
ज्योतिष मे ऐसे विभिन्न प्रकार के योग एवं अनेको संकेत व लक्षण हैं । जो की पूर्वजन्म के कर्मों को दर्शाते हैं ।
*ये पोस्ट मैंने इसलिए बनाई है कि आप सभी अपने आप को जाने कि आप कहां गलत हैं और कहां सही ।
पूर्व जन्म में जो हो चुका है वो तो हुआ लेकिन इस जन्म में आप धर्म - कर्म - जप - तप - दान - पुण्य का सहारा लें और अपने जीवन को सुधारे ।
और आपसे हो सके तो किसी गरीब, असहाय, बेसहारा,व्यक्ति की मदद अवश्य करें । इसी के साथ आप सभी को बहुत-बहुत मंगल कामनाएं और शुभाशीष देता हूं । भगवान आप सबकी मनोकामनाओं को पूर्ण करें ।
जय श्री महाकाल ????????????